कहते हैं कि शिवरात्रि में किसी भी पहर अगर महादेव की आराधना की जाए, तो मां पार्वती और महादेव दिल खोलकर कर भक्तों की कामनाएं पूरी करते हैं. शिवरात्रि पर पूरे मन से कीजिए महादेव की आराधना और पूरी कीजिए अपनी हर कामना.शिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह महादेव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व भी है. माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतार हुआ था.

इस दिन प्रदोष के समय महादेव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे शिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया. विश्वास किया जाता है कि तीनों लोकों की अपार सुंदरी तथा शीलवती गौरी को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों और पिशाचों से घिरे रहते हैं. उनका रूप बड़ा अजीब है. शरीर पर समसानो की भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकार ज्वाला उनकी पहचान है.
बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव अमंगल रूप में होने पर भी भक्तों का मंगल करते हैं और यह दिन जीव मात्र के लिए महान उपलब्धि प्राप्त करने का दिन भी है. बताया जाता है कि जो लोग इस दिन परम सिद्धिदायक उस महान स्वरूप की आराधना करता है, वह परम भाग्यशाली होता है.
इसके बारे में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के मुख से कहलवाया है, ‘शिवद्रोही मम दास कहावा. सो नर सपनेहु मोहि नहिं भावा.’ यान जो महादेव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है, वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता.महादेव की महत्ता को ‘शिवसागर’ में और ज्यादा विस्तृत रूप में देखा जा सकता है. शिवसागर में बताया गया है कि विविध शक्तियां, विष्णु व ब्रह्मा, जिसके कारण देवी और देवता के रूप में विराजमान हैं, जिसके कारण जगत का अस्तित्व है, जो यंत्र हैं, मंत्र हैं, ऐसे तंत्र के रूप में विराजमान महादेव को नमस्कार है.